66 सूरए अत तहरीम
सूरए अत तहरीम मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी बारह (12) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करत हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
ऐ रसूल जो चीज़ ख़ुदा ने तुम्हारे लिए हलाल की है तुम उससे अपनी बीवियों की ख़ुशनूदी के लिए क्यों किनारा कशी करो और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है (1)
ख़ुदा ने तुम लोगों के लिए क़समों को तोड़ डालने का कफ़्फ़ार मुक़र्रर कर दिया है और ख़ुदा ही तुम्हारा कारसाज़ है और वही वाकि़फ़कार हिकमत वाला है (2)
और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात कही फिर जब उसने (बावजूद मुमानियत) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी और ख़ुदा ने इस अम्र को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए शहद) टाल दी ग़रज़ जब रसूल ने इस वाकि़ये (हफ़सा के आयशाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (आयशाए राज़) की किसने ख़बर दी रसूल ने कहा मुझे बड़े वाकि़फ़कार ख़बरदार (ख़ुदा) ने बता दिया (3)
(तो ऐ हफ़सा व आयशा) अगर तुम दोनों (इस हरकत से) तौबा करो तो ख़ैर क्योंकि तुम दोनों के दिल टेढ़े हैं और अगर तुम दोनों रसूल की मुख़ालेफ़त में एक दूसरे की अयानत करती रहोगी तो कुछ परवा नहीं (क्यों कि) ख़ुदा और जिबरील और तमाम इमानदारों में नेक शख़्स उनके मददगार हैं और उनके अलावा कुल फ़रिश्ते मददगार हैं (4)
अगर रसूल तुम लोगों को तलाक़ दे दे तो अनक़रीब ही उनका परवरदिगार तुम्हारे बदले उनको तुमसे अच्छी बीवियाँ अता करे जो फ़रमाबरदार ईमानदार ख़ुदा रसूल की मुतीय (गुनाहों से) तौबा करने वालियाँ इबादत गुज़ार रोज़ा रखने वालियाँ ब्याही हुयी (5)
और बिन ब्याही कुंवारियाँ हो ऐ ईमानदारों अपने आपको और अपने लड़के बालों को (जहन्नुम की) आग से बचाओ जिसके इंधन आदमी और पत्थर होंगे उन पर वह तन्दख़ू सख़्त मिजाज़ फ़रिश्ते (मुक़र्रर) हैं कि ख़ुदा जिस बात का हुक़्म देता है उसकी नाफरमानी नहीं करते और जो हुक़्म उन्हें मिलता है उसे बजा लाते हैं (6)
(जब कुफ़्फ़ार दोज़ख़ के सामने आएँगे तो कहा जाएगा) काफि़रों आज बहाने न ढूँढो जो कुछ तुम करते थे तुम्हें उसकी सज़ा दी जाएगी (7)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा की बारगाह में साफ़ ख़ालिस दिल से तौबा करो तो (उसकी वजह से) उम्मीद है कि तुम्हारा परवरदिगार तुमसे तुम्हारे गुनाह दूर कर दे और तुमको (बेहिश्त के) उन बाग़ों में दाखिल करे जिनके नीचे नहरें जारी हैं उस दिन जब ख़ुदा रसूल को और उन लोगों को जो उनके साथ ईमान लाए हैं रूसवा नहीं करेगा (बल्कि) उनका नूर उनके आगे आगे और उनके दाहिने तरफ़ (रौशनी करता) चल रहा होगा और ये लोग ये दुआ करते होंगे परवरदिगार हमारे लिए हमारा नूर पूरा कर और हमं बख्श दे बेशक तू हर चीज़ पर क़ादिर है (8)
ऐ रसूल काफि़रों और मुनाफि़कों से जेहाद करो और उन पर सख़्ती करो और उनका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरा ठिकाना है (9)
ख़ुदा ने काफ़िरों (की इबरत) के वास्ते नूह की बीवी (वाएला) और लूत की बीवी (वाहेला) की मसल बयान की है कि ये दोनो हमारे बन्दों के तसर्रुफ़ थीं तो दोनों ने अपने शौहरों से दगा की तो उनके शौहर ख़ुदा के
मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम न आए और उनको हुक़्म दिया गया कि और जाने वालों के साथ जहन्नुम में तुम दोनों भी दाखिल हो जाओ (10)
और ख़ुदा ने मोमिनीन (की तसल्ली) के लिए फ़िरऔन की बीवी (आसिया) की मिसाल बयान फ़रमायी है कि जब उसने दुआ की परवरदिगार मेरे लिए अपने यहाँ बेहिष्त में एक घर बना और मुझे फ़िरऔन और उसकी कारस्तानी से नजात दे और मुझे ज़ालिम लोगो (के हाथ) से छुटकारा अता फ़रमा (11)
और (दूसरी मिसाल) इमरान की बेटी मरियम जिसने अपनी शर्मगाह को महफूज़ रखा तो हमने उसमें रूह फूंक दी और उसने अपने परवरदिगार की बातों और उसकी किताबों की तस्दीक़ की और फ़रमाबरदारों में थीं (12)

सूरए अत तहरीम ख़त्म