सूरए अस सफ्फ
सूरए अस सफ्फ मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी चैदह आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
जो चीज़े आसमानों में है और जो चीज़े ज़मीन में हैं (सब) ख़ुदा की तस्बीह करती हैं और वह ग़ालिब हिकमत वाला है (1)
ऐ ईमानदारों तुम ऐसी बातें क्यों कहा करते हो जो किया नहीं करते (2)
ख़ुदा के नज़दीक ये ग़ज़ब की बात है कि तुम ऐसी बात को जो करो नहीं (3)
ख़ुदा तो उन लोगों से उलफ़त रखता है जो उसकी राह में इस तरह परा बाँध के लड़ते हैं कि गोया वह सीसा पिलाई हुयी दीवारें हैं (4)
और जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि भाइयों तुम मुझे क्यों अज़ीयत देते हो हालाँकि तुम तो जानते हो कि मैं तुम्हारे पास ख़ुदा का (भेजा हुआ) रसूल हूँ तो जब वह टेढ़े हुए तो ख़ुदा ने भी उनके दिलों को टेढ़ा ही रहने दिया और ख़ुदा बदकार लोगों को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (5)
और (याद करो) जब मरियम के बेटे ईसा ने कहा ऐ बनी इसराइल मैं तुम्हारे पास ख़ुदा का भेजा हुआ (आया) हूँ (और जो किताब तौरेत मेरे सामने मौजूद है उसकी तसदीक़ करता हूँ और एक पैग़म्बर जिनका नाम अहमद होगा (और) मेरे बाद आएँगे उनकी ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ जो जब वह (पैग़म्बर अहमद) उनके पास वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आया तो कहने लगे ये तो खुला हुआ जादू है (6)
और जो शख़्स इस्लाम की तरफ बुलाया जाए (और) वह कु़बूल के बदले उलटा ख़ुदा पर झूठ (तूफान) जोड़े उससे बढ़ कर ज़ालिम और कौन होगा और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंजि़ले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता (7)
ये लोग अपने मुँह से (फूँक मारकर) ख़ुदा के नूर को बुझाना चाहते हैं हालाँकि ख़ुदा अपने नूर को पूरा करके रहेगा अगरचे कुफ़्फ़ार बुरा ही (क्यों न) मानें (8)
वह वही है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा ताकि उसे और तमाम दीनों पर ग़ालिब करे अगरचे मुशरेकीन बुरा ही (क्यों न) माने (9)
ऐ ईमानदारों क्या मैं नहीं ऐसी तिजारत बता दूँ जो तुमको (आख़ेरत के) दर्दनाक अज़ाब से निजात दे (10)
(वह ये है कि) ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाओ और अपने माल व जान से ख़ुदा की राह में जेहाद करो अगर तुम समझो तो यही तुम्हारे हक़ मे बेहतर है (11)
(ऐसा करोगे) तो वह भी इसके ऐवज़ में तुम्हारे गुनाह बख़्ष देगा और तुम्हें उन बाग़ों में दाखि़ल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी हैं और पाकीजा़ मकानात में (जगह देगा) जो जावेदानी बेहिश्त में हैं यही तो बड़ी कामयाबी है (12)
और एक चीज़ जिसके तुम दिल दादा हो (यानि तुमको) ख़ुदा की तरफ़ से मदद (मिलेगी और अनक़रीब फतेह (होगी) और (ऐ रसूल) मोमिनीन को ख़ुशख़बरी (इसकी) दे दो (13)
ऐ ईमानदारों ख़ुदा के मददगार बन जाओ जिस तरह मरियम के बेटे ईसा ने हवारियों से कहा था कि (भला) ख़ुदा की तरफ़ (बुलाने में) मेरे मददगार कौन लोग हैं तो हवारीन बोल उठे थे कि हम ख़ुदा के अनसार हैं तो बनी इसराईल में से एक गिरोह (उन पर) ईमान लाया और एक गिरोह काफ़िर रहा, तो जो लोग ईमान लाए हमने उनको उनके दुशमनों के मुक़ाबले में मदद दी तो आखि़र वही ग़ालिब रहे (14)

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