114 सूरए अन नास
सूरए अन नास मक्का या मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी छः (6) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार (1)
लोगों के बादशाह (2)
लोगों के माबूद की (शैतानी) (3)
वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ (4)
जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है (5)
जिन्नात में से ख़्वाह आदमियों में से (6)

सूरए अन नास ख़त्म