99 सूरए अज़ ज़िलज़ाल
सूरए अज़ ज़िलज़ाल मक्का या मदीने में उतरा और इसकी आठ (8) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
जब ज़मीन बड़े ज़ोरों के साथ ज़लज़ले में आ जाएगी (1)
और ज़मीन अपने अन्दर के बोझे (मादनयात मुर्दे वग़ैरह) निकाल डालेगी (2)
और एक इन्सान कहेगा कि उसको क्या हो गया है (3)
उस रोज़ वह अपने सब हालात बयान कर देगी (4)
क्योंकि तुम्हारे परवरदिगार ने उसको हुक्म दिया होगा (5)
उस दिन लोग गिरोह गिरोह (अपनी कब्रों से) निकलेंगे ताकि अपने आमाल को देखे (6)
तो जिस शख़्स ने ज़र्रा बराबर नेकी की वह उसे देख लेगा (7)
और जिस शख़्स ने ज़र्रा बराबर बदी की है तो उसे देख लेगा (8)
सूरए अज़ ज़िलज़ाल ख़त्म