110 सूरए अन नस्र
सूरए अन नस्त्र मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी तीन (3) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
ऐ रसूल जब ख़ुदा की मदद आ पहुचेंगी (1)
और फतेह (मक्का) हो जाएगी और तुम लोगों को देखोगे कि गोल के गोल ख़ुदा के दीन में दाखि़ल हो रहे हैं (2)
तो तुम अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करना और उसी से मग़फे़रत की दुआ माँगना वह बेशक बड़ा माफ़ करने वाला है (3)

सूरए अन नस्त्र ख़त्म